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किसान भाई मई माह में क्या करें -

फसल प्रबन्धन

  • गन्ने की फसल में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें तथा अधिक पानी देने से बचेें प्रत्येक सिंचाई के बाद गुड़ाई अवश्य करें।
  • सभी बेधक कीटों की निगरानी के लिए लाइट-फेरोमोन ट्रैप(4ट्रैप्स/हे0) लगाये।
  • पायरिला के नियंत्रण के लिए निचली पत्तियों के सामने वाले भाग में यदि सफेद रंग का अंड समूह दिखाई दे तों ग्रसित पत्तियों को काटकर नष्ट करें। इसी माह पेड़ी फसल में काला चिकटा का प्रकोप होता है जिससे फसल की पत्तियाँ हल्की पीली पड़ने लगती है। ऐसी अवस्था में तीन प्रतिशत यूरिया एवं क्लोरपायरीफाॅस 20 इ0सी0(6.25/हे0) दवा का
    1500-1600 लीटर पानी में घोल बनाकर पौधों की गोफ में डालें।
  • रोग ग्रसित पौधों को खेत से निकाल कर नष्ट कर देें।
  • पेड़ी गन्ने में बहुत ज्यादा किल्ले निकलने की दशा में गन्ने की पंक्तियों में मिट्टी चढ़ाये।
    मिट्टी ट्रैक्टर चालित मशीनो से भी चढ़ाई जा सकती है। मशीनों की उपलब्धता एवं प्रयोग
    सम्बंघी आवश्यक जानकारी भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान से प्राप्त की जा सकती है।

दो पंक्तियों का गन्ना बुआई यंत्र

भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान
लखनऊ द्धारा विकसित इस मशीन द्धारा गन्ना बुआई के लिए आवश्यक कार्य जैसे
कूँड़ खोलना, तीन आँख का गन्ना टुकड़ा काटना, गन्ना टुकड़ों का कूँड़
में डालना, कूँड़ में उर्वरक एवं दवा का प्रयोग, कूँड़ को मिट्टी से ढकना, मिट्टी दबाने
का कार्य एक साथ सम्पन्न हो जाता है
जिससे गन्ना बुआई में समय व लागत की बचत होती है।

मशीन सम्बंधी आवश्यक जानकारी

  • दो पंक्तियों के मध्य दूरी 75 सेंमी0
  • गन्ने के बीज के टुकड़ों की लम्बाई
    32 से 38से0
  • प्रति हेक्टेयर गन्ने के टुकड़ों की
    संख्या 40000 - 50000
  • कूँड़ कीे गहराई 15 से 20सेमी0
  • गन्ने के प्रत्येक ट्रे की क्षमता
    100 किलोग्राम
  • खाद के प्रत्येक बक्से की क्षमता
    25 किलोग्राम
  • प्रत्येक दवा के बक्से की क्षमता 20 लीटर
  • मशीन की क्षमता 0.20 हे0/घंटा
  • लागत में कमी 60 प्रतिशत
  • मशीन का मूल्य 60,000 से 70,000
किसान भाई जून माह में क्या करें -

फसल प्रबनधन

  • 100 किलोग्राम यूरिया / हे0 की दर से मध्य जून तक मिट्टी में उचित नमी सुनिश्चित कर
    डाल दें। यूरिया गन्ना-पौधों के समीप पंक्तियों में डालें तथा इसके बाद गुडा़ई करें।
  • आवश्यकतानुसार सिंचाई एवं गुडा़ई करते रहें।
  • पके हुए अन्तः फसल की फलियाँ तोड़कर फसल अवशेष को गन्ने की पंक्तियों के मध्य
    हल चलाकर मिट्टी में पलटकर खेत की सिंचाई कर देें।
  • वर्षा नहीं होने या सूखे की स्थिति में इथरेल 12 मि0ली0 को 100लीटर पानी में घोलकर
    पत्तियां पर छिड़काव करें।
  • यदि हरी-खाद फसल की बुआई करनी हो तो जून के अंत में बुआई कर दें।

फसल सुरक्षा

  • चोटी बेधक कीट के तीसरी पीढ़ी की निगरानी हेतु 4 ट्रैप्स/ हे0 लगायें।
    यदि सफेद तितलियाँ ट्रैपस में आने लगें तो खेत में कार्बोफयूराडान(3जी)33
    किलोग्राम / हे0 की दर से या फोरेट(10जी) 30 किलोग्राम /हे0 का प्रयोग उचित
    नमी की दशाा में करें। इकसा बुरकाव प्रातः 10 बजे से पहले भरपेट भोजन के बाद
    मुँह व नाक ढक कर करें अन्यथा
    दवाई से निकली गैस से बेहोशी हो
    सकती है। यह भी ध्यान रखें कि बीड़ी
    सिगरेट, तम्बाकू इत्यादि का प्रयोग बुरकाव
    के समय नहीं करें। कार्बोफयूराॅन
    को यूनिया के साथ मिलाकर
    प्रयोग कदापि न करें।
  • रोग व कीट ग्रसित पौधों को निकालकर
    नष्ट कर दें। जिन क्षेत्रों में सफेद गिडार
    आने की आशंका है वहाँ पर प्रौढ़ कीट
    (बीटल) के नियंत्रण हेतु सामुदायिक स्तर पर जगह-जगह भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान द्धारा विकसित लाइट-फेरोमोन ट्रैप्स लगायें। ट्रैप्स में इकटठा हुए कीटों को नष्ट कर दें । साथ ही साथ आस - पास के पेड़ों पर बैठे हुए कीटों को झाड़कर इकटछा कर नष्ट कर दें।
किसान भाई जुलाई माह में क्या करें -

अन्तःकर्षण -

  • जुलाई माह से गन्ने की लम्बत बढ़वार शुरू होती हैं किल्ले फूटने/निकलने की प्रक्रिया पर रोक लगाने के लिए गन्ने की पत्तियों मे मिट्टी चढ़ाने से गन्ना गिरने से बच जाता है।

फसल सुरक्षा

  • बेधक कीटों के जैविक नियंत्रण के लिए 50000 ट्राइकोड्रामा अंड युक्त
    ट्राइकोकार्ड प्रति हेक्टेयर लगायें। कार्ड टुकड़ों में काटकर पत्तियों की निचली
    सतह पर नत्थी कर दें। यह कार्य दस दिनों के अन्तराल पर दोहरायें तथा
    अक्टूबर माह तक करते रहें ट्राइकोकार्ड भारतीय गन्ना अनुसंघान संस्थान
    लखनऊ से प्राप्त किये जा सकते है।
  • पायरिला(फुदका) कीट के नियंत्रण के लिए इपीरिकैनिया परजीवी के ककून
    अथवा अंडसमूह को बाहुल्य वाले खेतों से निकालकर जिन खेतों में नही है उसमें
    गन्ना पत्तियों के पीछे नत्थी कर दें।
  • पहचानः ककून सफेद रंग एवं अंड
    समूह चटाईनुमा हल्का भूरा रंग
    का होता है, ये दोनों पत्तियों के पीछे
    भाग पर पाये जाते है।
  • किसी भी रोग से ग्रसित पौधो को खेत
    से जड़ सहित निकालकर नष्ट कर दें । तथा
    रिक्त हुए स्थान पर सवंर्धित
    ट्राइकोडर्मा का बुरकाव कर दें।
आर0एस0 गन्ना बुआई यंत्र

भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ
द्धारा विकसित यह नवीनतम गन्ना
बुआई यंत्र है इस यंत्र द्धारा एक बार में
ही तीन कतारों में बुआई की जाती है।
3.5 से 4.0 धंटे में एक हेक्टेयर में मात्र
5-6 व्यक्तियों द्धारा बुआई की जाती है। इस प्लांटर को किसी भी 35 हार्स पावर ट्रैक्टर द्धारा चलाया जाता है। इस यंत्र द्धारा गन्ना बुआई के लिए निन्नलिखित कार्य एक साथ सम्पन्न होते है।

  • तीन नालियों का खोलना।
  • गन्ने के टुकड़ों का काटकर नालियों में डालना
  • प्रत्येक नाली में खाद्य व कीटनाशक दवा का डालना।
  • नालियों में पड़े गन्ने के टुकडों के ऊपर मिट्टी डालकर दबाना।
  • बेड पर अंतःफसलों जैसे - गेहूं, मूंग, उड़द आदि की साथ - साथ बुआई करना।
लाभ-
  • मात्र 5-6 व्यक्तियों द्धारा एक दिन में लगभग दो हेक्टयर की बुआई करना।
  • गन्ना बुआई में ट्रैक्टर एवं मजदूरों की लागत पर आधे से अधिक की बचत।
  • मशीन द्धारा बुआई करने पर जमीन और गन्ने की नमी का हास न्यूनतम फलस्वरूप बेहतर जमाव।
किसान भाई अगस्त माह में क्या करें -

गन्ना बंधाई एवं जल निकासी

  • वर्षा के दिनों में तेज हवा चलने के कारण गन्ना गिरने की संभावना रहती है
    इससे बचाव के लिए प्रत्येक थान में गन्नों की आपस में बंधाई कर दें।
  • अधिक बारिष होने पर अगर खेतों
    में पानी भर जाता है। जो गन्ना फसल
    के लिए हानिकारक है। इससे बचाव
    के लिए गन्ना कतारों में मिट्टी अवश्य
    चढ़ाएं जिससे पंक्तियों के बीच खाली
    जगह में जल निकासी नाली बन जाए
    मिट्टी चढ़ाने से गन्ना गिरने से भी बच जाता है।

फसल सुरक्षा

  • बेधक कीटों के जैविक नियंत्रण के
    लिए 50,000 ट्राइकोग्रामा अंडयुक्त
    ट्राइकोकार्ड (प्रति हे0) लगाये। कार्ड
    टुकड़ों में काटकर पत्तियों की निचली
    सतह पर नत्थी कर दें यह कार्य दस
    दिनो के अन्तराल पर दोहराए तथा
    अक्टूबर माह तक करते रहें । ट्राइकोकार्ड भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ से प्राप्त किये जा सकते है।
  • पायरिला (फुदका) कीट के नियंत्रण के लिए इपीरिकैनिया परजीवनी के ककूंद अथवा अंड समूह को बाहुल्य वाले खेत से निकाल कर, जिन खेतों में नही है उसमें गन्ना पत्तियों के पीछे नत्थी कर दें।
  • किसी भी रोग से ग्रसित पौधों को खेत से जड़ सहित निकालकर नष्ट कर दें तथा रिक्त हुए स्थान पर ट्राइकोडर्मा का बुरकाव कर दें।
किसान भाई सितम्बर मांह में क्या करें -

अन्तःकर्षण

  • गन्ने की सूखी पत्तियों की निकाल दें तथा पंक्तियों के आमने - सामने की गन्ना थानों की आपस में बंधाई कर दें।
  • जल किल्ले एवं देर से निकलने के लिए किल्ले को काटकर निकाल दें क्योंकि इन किल्लों से पिराई योग्य गन्ना नही बन पाता। इन किल्लों को निकालकर नाशीकीटों के प्रबन्धन के लिए भी महत्वपूर्ण है। निकाले गए किल्लों
    को मवेशियों के लिए चारा के रूप में प्रयोंग करें।
  • जून -जुलाई में बोई गई हरी खाद फसल के पलटकर मिट्टी में मिला दें।

फसल सुरक्षा

  • बेधक कीटों के जैविक नियंत्रण के लिए 50000 ट्राइकोग्रामा अंड युक्त ट्राइकोकार्ड
    प्रति हेक्टेयर लगाये। कार्ड टुकड़ों में काटकर पत्तियों की निचली सतह पर
    नत्थी कर देें। यह कार्य प्रति दस दिन के अन्तराल पर दोहराएं तथा अक्टूबर
    मांह तक करते जाए। ट्राइकोकार्ड भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान,लखनऊ
    से प्राप्त किये जा सकते है।
  • पायरिला कीट के नियंत्रण के लिए एपीरिकैनिया परजीवी के ककून अथवा अंड
    समूह को बाहुल्य वाले खेत से निकाल दें जिन खेतों में नही है
    उसमें गन्ना पत्तियों के पीछे नत्थी कर दें।
  • किसी भी रोग से ग्रसित पौधो को खेत से जड़ सहित निकालकर नष्ट कर दें।
    तथा रिक्त स्थान पर ट्राइकोडर्मा का बुरकाव कर दें।
  • ऊनी माँहू दिखाई दे तो इसके परजीवी डाइफा कीट के 1000
    गिडार प्रति हेक्टेयर की दर से
    खेत में वितरित करें।
  • किसी भी रोग से ग्रसित पौधों को
    खते से जड़ सहित निकालकर नष्ट
    कर दें तथा रिक्त स्थान पर
    ट्राइकोडर्मा का बुरकाव कर दें।



शरदकालीन गन्ना बुआई की तैयारी

  • संस्तुत प्रजातियों के स्वस्थ बीज की उपलब्धता के लिए निकट के शोध संस्थान चीनी मिल या प्रगतिशील किसान से सम्पर्क करें।
  • खेत की गहरी जुताई के समय सवंर्धित ट्राइकोडर्मा मिला गोबर की खाद से प्रेसमड केक 10टन प्रति हेक्टेयर की दर से मिट्टी में डालें।
किसान भाई अक्टूबर माह में क्या करें -

शरदकालीन गन्ना बुआई

  • शरदकालीन गन्ना बुआई की तैयारी करें। बीज की उपलब्धता सुनिश्चित करें
    तथा बीज पौधशाला या रोगमुक्त खेत स्वस्थ फसल से ही लें जहां तक संभव हो पेड़ी गन्ने का
    बीज प्रयोग में नही लाये
  • बुआई से पहले खेत की तैयारी के समय संवर्धित ट्राइकोडर्मा मिला हुआ प्रेसमड/गोबर
    की खाद (10टन प्रति हे0) का प्रयोग अवश्य करें।
  • बुआई के समय नालियों में 100 किलोग्राम यूरिया और 130 किलोग्राम डी ए पी
    तथा 100 किलोग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश प्रति हे0 की दर से डालें
  • आवश्यकतानुसार अन्तः फसलें जैसे आलू सरसो लाही मटर अलसी धनिया
    लहसुन इत्यादि की बुआई करें गन्ने में अन्तः फसलों की खेती के लिएभारतीय गन्ना
    अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित यंत्रों का प्रयोग ज्यादा लाभकारी होगा
  • दीमक एवं प्ररोह व जड़ बेधक कीटों से बचाव के लिए क्लोरपायरिफॉयस 20 ईसी
    (6.25 ली0 / हे0) या क्लोरेन्ट्रेनिलिप्रोल 18.5 एस0सी0(500-600 मि0/हे0)
    का 1500-1600 लीटर पानी में घोल का छिड़काव करें। यदि मिट्टी का
    ph 7.5 से ज्यादा हो तो इमीडाक्लोप्रिड 17.8एस0एल0 (500 मिल0/हे0)
    1500-1600 लीटर पानी घोल का छिड़काव अधिक प्रभावी होगा। घोल
    का छिड़काव हजारे के द्धारा नालियों में गन्ना टुकड़ों के ऊपर करे।

फसल सुरक्षा

  • खड़ी फसल को चूहों से बचाव हेतु
    ब्रोामेडाइलान अथवा जिंक फाॅस्फाइड
    दवा को आटा एवं सरसों तेल में गोलियाँ
    बनाकर चूहों के बिलों के पास
    या समीप रखें दें। इस दवा का प्रयोग
    करने से पहले यह सुनिषिचत करें कि
    बिल में चूहे है या नहीं। इसके लिए पहले दिन सभी बिन
    को मिट्टी डालकर बंद करें। अगले दिन खुले हुए बिलों में चूहा होने की संभावना है। इन्हीं बिलों मंे दवा मिश्रित गोलियाँ रखें।

अन्तःकर्षण

  • गन्ने की सूखी पत्तियों को निकाल दें तथा दो पंक्तियों के आमने - सामने की गन्ना थानों की आपस में बँधाई करें।
  • जल किल्लें एवं देर से निकले किल्ले को काटकर निकाल दें, क्योंकि इन किल्लों से पेराई योग्या गन्ना नहीं बन पाता है। किल्लों का निकालना नाशीकीटों के प्रबन्धन के लिए भी महत्वपूर्ण है। निकाले गए किल्लों को मवेशियों के लिए चारा के रूप में प्रयोग करें।
किसान भाई नवम्बर मांह मं क्या करें -
  • गन्ना बुआई 15 नवम्बर से पहले अवश्य पूरा कर लें। 15 नवम्बर के बाद तापमान गिरने
    से बोये गये गन्ने का जमाव अच्छा नहीं होता है।
  • संस्तुत प्रजाति के स्वस्थ बीज की ही बुआई करें।
  • सवंर्धित ट्राइकोडर्मा 20 किलोग्राम / हे0 की दर से 200 किलोग्राम गोबर की खाद
    या प्रेसमड के साथ मिलाकर नालियों में डालें।

फसल प्रबन्धन एवं कटाई

  • खड़ी फसल में आवश्यकतानुसार सिंचाई करें।
  • अक्टूबर माह में बोये गये गन्ने के साथ अन्तःफसलों का रख रखाव आवश्यकतानुसार करें ।
  • तैयार गन्ने की कटाई जमीन की सतह से करके मिल मे भेजें ध्यान रखें
    कि कटाई उपरान्त मिल में गन्ना आपूर्ति अबिलम्ब हो कटा गन्ना खेत में न
    छोड़े यदि यह संभव नही हो पाया तो गन्ना ढेरों को सूखी पत्तियों से ढक दें
    आवश्यकता हो तो पानी का छिड़काव भी कर दें।
  • पेड़ी के बाद जिस खेत में गन्ना नही रखना है उस खेत में गेहूं की बुआई जल्द कर दें।

पेडी़ प्रबन्धन

  • फसल कटाई के बाद पेड़ी रखने के लिए भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान
    द्धारा विकसित पेड़ी प्रबन्धन मशीन (आर0एम0डी0) का प्रयोग करें यह मशीन
    पुराने जड़ों की छंटाई, गहरी जुताई, उर्वरक व कीटनाशकों का प्रयोग जैसे
    कार्य एक साथ एक बार मे ही कर देती है।
  • कटाई के बाद जल्द फुटाव के
    लिए ठूठों पर इथरेल (12मिली0/100
    लीटर पानी) का छिड़काव करें ।
  • कटाई के एक सप्ताह बाद खेत
    में सिंचाई करें
  • गन्ना पंक्तियों से सटाकर गहरी जुताई
    कर संस्तुत उर्वरक (200ः130ः100
    किलोग्राम यूरिया, डी0ए0पी0 एवं म्यूरेट
    आफ पोटाश प्रति हेक्टेयर) की मात्रा डालें।
  • सवंर्धित ट्राइकोडर्मा मिलाकर प्रेसमड केेक दस टन प्रति
    हेक्टेयर की दर से गन्ना कतारों में डालने से पेड़ी फुटाव अच्छा होगा
किसान भाई दिसम्बर माह में क्या करें -

गन्ना कटाई

  • तैयार गन्ने की कटाई जमीन की सतह से करके तुरन्त मिल मे भेजें।
  • ध्यान रखें कि कटाई उपरान्त मिल में गन्ना आपूर्ति अबिलम्ब हो कटा गन्ना खेत में न छोड़े
    यदि यह संभव नही हो पाया तो गन्ना ढेरों को सूखी पत्तियों से ढक
    दें आवश्यक हो तो पानी का छिड़काव भी कर दें।

पेड़ी प्रबन्धन

  • फसल कटाई के बाद पेड़ी रखने के लिए भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान द्धारा
    विकसित पेड़ी प्रबन्धन मशीन का प्रयोग करें। यह मशीन पुराने जड़ों की छंटाई
    गहरी जुताई उर्वरक व कीटनाशको का प्रयोग जैसे कार्य एक साथ एक बार में ही कर देती है।
  • गन्ना काटने के बाद जिस खेत में पेड़ी रखनी हो वहां गन्ने की ठूँठों पर इथरेल
    (12मिली0 /100लीटर पानी) का छिड़काव करें। इथरेल के छिड़काव से ठण्ड
    का प्रभाव कम हो जाएगा तथा फुटाव जल्द होगा। घोल बनाने के बाद घोल का
    छिड़काव एक घंटे के अन्दर अवश्य कर दें अन्यथा प्रभावकारी नही होगा।
  • इस माह में प्रारम्भ की गयी पेड़ी में गन्ना पंक्तियों से सटाकर 200ः130ः100
    किलोग्राम यूरिया ,डी0ए0पी0 एवं म्यूरेट आॅफ पोटाश प्रति हेक्टेयर डालें।
  • सवंर्धित ट्राइकोडर्मा मिलाकर प्रेसमड केक 10 टन प्रति हेक्टेयर की दर से गन्ना
    कतारों में डालने से पेड़ी फुटाव अच्छा होगा।
  • दूसरी पेड़ी काटने के पश्चात जीरो-टिल ड्रिल द्धारा गेंहू की बुआई जल्द कर दे।

पेड़ी प्रबन्धन यंत्र

भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ
द्धारा विकसित पेड़ी प्रबंधन यंत्र के प्रयोग
से पेड़ी प्रारम्भ करने के लिए अन्तःकर्षण
क्रियायें जैसे ठूँठ की जमीन की सतह
से कटाई कड़ी परत तोड़ने के लिए गहरी
जुताई, पुरानी जड़ों की छंटाई, गन्न कतारों में
उर्वरक एवं फसल सुरक्षा रसायनों का प्रयोग
एक साथ एक ही बार में हो जाता है। यह मशीन एक घंटे में 0.3 से 0.4हे0 में सभी कार्य सम्पन्न करती है। इस मशीन का अनुमानित मूल्य 80,000 (शेविंग यूनिट के साथ) तथा 50,000 (शेविंग यूनिट के बिना) है। यह मशीन किसानों के लिए फायदेमंद है तथा इसके प्रयोग से कम लागत में पेड़ी फसल से अधिक उपज प्राप्त कर सकते है।

किसान भाई जनवरी माह में क्या करें -

गन्ना कटाई

  • गन्ने की परिपक्व फसल की कटाई जमीन की सतह से करें तथा तुरंत मिल भेजे सबसे पहले पेड़ी फसल उसके बाद शरदकाल में बोयी गयी अगैती प्रजाति की परिपक्व फसल को काटें।

पेड़ी प्रबन्धन

  • कटाई के बाद जल्द फुटाव के लिए ठूठों पर इथरेल(12मिली/100लीटर पानी) का छिड़काव करें।
  • कटाई के एक सप्ताह बाद खेत मे पानी लगा दें।
  • बिना बिछावन वाली पंक्तियों / कतारो में अंतःकर्षण क्रियाये करें। गन्ना पंक्तियों से
    सटाकर गहरी जुताई कर संस्तुत उर्वरक(200ः130ः100 किलोग्राम यूरिया,
    डी0ए0पी0 एवं म्यूरेट आफ पोटाश /हे0 ) की मात्रा डाल दें।
  • सवंर्धित ट्राइकोडर्मा मिलाकर प्रेसमड केक दस टन / हे0 गन्ना पंक्तियों में
    डालने से पेड़ी फुटाव अच्छा होगा।
  • जिन खेतों में ज्यादा खाली स्थान हो या रोगों /कीटों का प्रकोप ज्यादा
    हो उसमें पेड़ी न रखें।
  • दूसरी पेड़ी काटने के पश्चात जीरो-टिल ड्रिल द्धारा गेंहूं की बुआई जल्द करें।

खड़ी फसल का रख-रखाव

परिपक्व फसल
  • बीज के लिए रखे गन्ने की फसल में सिंचाई करें तथा रोग व कीट
    ग्रसित पौधों को निकाल कर नष्ट कर दें।
  • शेष फसल को मिल में भेजने की तैयारी करें।

शरदकालीन गन्ना

  • शरदकालीन गन्ना (अक्टूबर) के
    साथ बोये गये अन्तःफसलों जैसेे
    आलू गेहूं, राई, लाही, मटर, अलसी,
    धनिया, लहसुन आदि की उचित
    रख - रखाव करें तथा आवश्यकतानुसार
    उर्वरक, सिंचाई एवं फसल सुरक्षा सुनिश्चित करें।

बसंतकालीन गन्ना बुआई की तैयारी

बुआई के लिए उपजाऊ खेत का चुनाव करें संस्तुत प्रजाति का स्वस्थ गन्ना बीज के लिए निकट स्थित गन्ना शोध केंद्र अथवा चीनी मिल से सम्पर्क करें। गन्ना बुआई यंत्रों का रख-रखाव सुनिश्चित करें।

किसान भाई फरवरी मांह में क्या करें -

बसंतकालीन गन्ने की बुआई

  • खेत की गहरी जुताई मिट्टी पलटने वाली हल से करने के बाद तीन से चार जुताई हैरों या कल्टीवेटर से करें तथा पाटा लगायें। बुआई से पूर्व सिंचाई करें जिससे मिट्टी में नमी बनी रहे।
  • लगत व समय की बचत एवं अच्छें जमाव के लिए कटर प्लान्टर या पेयर्ड रो मशीन द्धारा बुआई करें। (मशीन के लिए भारतीय गन्ना अनसंधान संस्थान, लखनऊ से सम्पर्क करें।)
  • स्वस्थ एवं ताजा गन्ने(6टन/हे0) को तीन आँख वाले टुकड़ों में काटकर 200 ग्राम
    बावस्टीन/हे0 का 100लीटर पानी में बने घोल में 30 मिनट तक डुबाकर ही बुआई करे।
  • बुआई से पहले खेत की तैयारी के समय सवंर्धित ट्राइकोडर्मा एवं एसीटोबैक्टर मिलाकर
    प्रेसमड/गोबर की खाद(10टन/हे0) खेत में डालें । नालियों में यूयिा 100 किलोग्राम
    डी0ए0पी0 तथा 100 किलोग्राम म्यूरेट आॅफ पोटाश प्रति हे0 की दर से
    डालकर गन्ना टुकडा़ों की बुआई करें।
  • दीमक एवं प्ररोह व जड़ बेधक कीटों से बचाव के लिए क्लोरपायीरफाॅस 20 इ0सी0
    (6.25 ली/हे0) या क्लोरेन्ट्रनिलिप्रोल 18.5 एस0सी0 (500-600 मिली/हे0 )
    का 1500-1600 लीटर पानी में घोल का छिड़काव हजारे के द्धारा नालियों में
    गन्ने के टुकड़ों के ऊपर करे।
  • खर-पतवार नियंत्रण के लिए एट्राजीन अथवा मेट्रिजीन का 2 किलोग्राम सक्रिय
    तत्व/हे0 की दर से 800 लीटर पानी में घोल बनाकर गन्ना बुआई के
    तुरंत बाद छिड़कें।

पेड़ी प्रबन्धन

जनवरी माह में सुझाए गए क्रियाओं के अनुसार ही पेड़ी फसल की शुरूआत
करें तथा पूर्व में शुरू की गयी पेड़ी फसल में गुडाई तथा आवश्यकतानुसार सिंचाई करें।

गन्ना एवं अन्तः फसल की कटाई

  • गन्ने की परिपक्व फसल की कटाई
    जमीन की सतह से करें तथा तुरंत
    मिल भेजें।
  • शरदकालीन गन्ने के साथ बोये
    गये अन्तः फसलों के पकने पर तुरंत
    गुडाई करें।

नाशी कीट प्रबन्धन

मघ्य फरवरी में चोटी बेधक कीट की पहली
पीढ़ी के एडल्ट कीट (सफेद तितली) को नष्ट करने के लिए खेत में लाइट फेरोमोन ट्रैव समान दूरी पर (32ट्रैप्स/हे0)लगायें। तितली आने के एक सप्ताह बाद पत्तियों के सामने वाली तरह पर पाये जाने वाले नारंगी भूरे रंग के अंड समूहों को नष्ट करें।

किसान भाई मार्च महीने में क्या करें -

बसंतकालीन गन्ने की बुआई

  • बसंतकालीन गन्ना बुआई के लिए यद्यपि 15 फरवरी से 15 मार्च तक का समय सबसे उपयुक्त है। फिर भी इस माह में बुआई पूरी कर अच्छा गन्न जमाव प्राप्त किया जा सकता है।
  • अपने क्षेत्र के लिए संस्तुत प्रजातियों की ही बुआई करें।
  • रोगमुक्त खेतों से लिए गए स्वस्थ बीज का ही प्रयोग करें।

गन्ना कटाई एवं प्रबन्धन

  • परिपक्व गन्न जमीन की सतह से काटकर मिल में पेराई के लिए तुरंत भेजें।
  • पकी हुई अंतः फसलों जैसे -राई, सरसों, इत्यादि की कटाई करके गन्ने मे
    सिंचाई कर दें। ओट आने पर 100 किलो्राम यूरिया/हे0 गन्ना
    पंक्तियों में डालकर गुडा़ई अवश्य करें।
  • शरदकाल (अक्टूबर) में बोये गन्ने में सिंचाई ,खाद व उर्वरक डालें तथा गुड़ाई करें।

फसल सुरक्षा

  • पेड़ी एवं शरदकाल बावक फसलों में बेधक कीटों से प्रभावित पौधों को जमीन की
    सतह से गिडार सहित काटकर नष्ट करें। अगर प्रभावित पौधों की संख्या
    ज्यादा हो तो मिट्टी में नमी सुनिश्चित कर कार्बोफयूराडॅान 3जी033 किलो0/हे0 डालें।
  • पेड़ी व बावक गन्ने में यदि कंडुआ (स्मट) रोग का संक्रमण हो तो ग्रसित पौधों को
    निकालकर नष्ट करें जिससे रोग का कालें रंग का
    पावडर फैल नही पाये।



2000-2010 के मघ्य सी0वी0
आर0सी0 द्धारा प्रस्तुत प्रजातियाँ

क्षेत्र शीध्र पकने वाली प्रजातियाँ मध्यम देरी से पकने वाली प्रजातियाँ
पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्य व पश्चिमी उत्तरप्रदेश एवं उत्तराखंड कोएच 92201, कोसा 95255, को 98014, कोसा 96268, को 0118, को 0238, को 0239 कोपन्त 90223, कोसा 94270 कोएच0 119, कोपन्त 97222, को जे 20193, कोसा 96275, को 0124
पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, एवं झारखण्ड को 87268, को 98029, कोसे 95422, को से 96234, कोलख 94184, को 023 कोसे 92423, कोसे 96436 को 0233
किसान भाई अप्रैल माह में क्या करें -

फसल प्रबन्धन

  • बसंतकालीन गन्ने में अंतःफसली खेती के लिए गन्ने की पंक्तियों के बीच मूँग/उर्द की दो या लोबियां की एक पंक्ति बोयें।
  • बसंतकालीन गन्ने में जमाव के बाद यदि पंक्तियों में खाली स्थान (60 सें0मी0 से अधिक ) हो तो वहाँ 3 आँख के टुुकड़ों द्धारा भराई कर दें। इसी समय खेत की गुड़ाई करे दें तथा इसके एक सप्ताह बाद सिंचाई करें। पेड़ी व बावक फसलों में 100 किलोग्राम यूरिया / हे0 की दर से मिटटी में नमी सुनिश्चित कर टाॅप ड्रेसिंग करके गुड़ाई अवश्य करें।

फसल सुरक्षा

  • सभी बेधक कीटों के निगरानी के लिए लाइट-फेेरोमोन ट्रैप(4ट्रैप्स/हे0) लगाये।
  • अप्रैल के अंतिम सप्ताह में खेत में पायरिला दिखाई देतें है। इसके नियंत्रण के लिए निचली
    पत्तियों के सामने वाले भाग में यदि सफेद रंग का अंड समूह दिखाई दे
    तो ग्रसित पत्तियों को काटकर नष्ट करें। इसी माह पेड़ी फसल में काला
    चिकटा का प्रकोप होता है, जिससे फसल की पत्तियाँ हल्की पीली
    पड़ने लगती है। ऐसी अवस्था में तीन प्रतिशत यूरिया एवं क्लोरपायरीफास
    20 इ0सी (6.25 /हे0) का 1500-1600 लीटर पानी में घोल बनाकर पौधों
    की गोफ में डालों
  • इस समय खेतों में सभी रोगों के लक्षण प्रकट होने लगते है। अतः खेत का
    नियमित निरीक्षण करें। रोग ग्रसित पौधों को खेत से निकाल कर नष्ट कर दें।

रोगों के लक्षण

लाल सड़न

गन्ने के चोटी की पत्तियाँ पीली पड़ने लगती है तथा मध्य शिरा के पीछे काले धब्बे
दिखाई देने लगेगें। 10-15 दिनों बाद ग्रसित पौधा सूखने लगता है।

कंडुवा

गन्ने की चोटी पर काली चाबुक जैसी बनावट निकल आती है

पर्णदाह

नई पत्तियों में मध्य शिरा के समान्तर
सफेद धारियां दिखाई देंगी,
पत्तियाँ बाद में सूखने लगेगी।

घासी प्ररोह

सभी पत्तियाँ पीली / सफेद हो जाती है बाद में पौधा घास जैसा दिखाई देगा।

ग्रीष्मकालीन गन्ना बुआई
  • गेंहूँ कटाई के बाद ग्रीष्मकालीन गन्ने की बुआई अतिशीघ्र करें। 60सेमी0 की दूरी पर पंक्तियो में अथवा 90ः30 सेंमी0 की दोहरी पंक्तियों में बुआई करें
  • अधिक जमाव के लिए गन्ना के टुकड़ों के चार से छहः घंटों तक पानी में डुबोकर ही बुआई करें।
  • बुआई के तुरन्त बाद पाटा अवश्य लगाये जिससे मिट्टी में नमी ज्यादा समय तक बनी रहें अगर मिट्टी में कम नमी हो तो बुआई के बाद नालियों में हल्की सिंचाई करें तथा ओट आने पर गुडा़ई कर पपड़ी तोड़ दें।
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प्रशिक्षण कार्यक्रम

गन्ना विकास एवं विपणन
शुगर क्वालिटी एवं मैनेजमेंट
रिकवरी मैनेजमेंट
वित्तीय प्रबंधन
कार्यशाला बायो कम्पोस्ट
प्रदूषण नियंत्रण प्रबन्ध
कंप्यूटर प्रशिक्षण
कार्यालय प्रबन्धन ( मानक मद - 44 )
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अन्तर्गत टी0ओ0टी0 प्रशिक्षण